कहतें हैं कि हज़रत आदम से मुहम्मद साहब तक सवा लाख पैगम्बर हो चुके थे , अठासी करोड़ शेख़ हैं और जिसके छप्पन करोड़ ख़ास मुसाहिब हैं। | | १ | |
आदिश्रीगुरुग्रंथसाहब से :बाणी भगता की कबीर जिउ घरु १
जिसके साथ सात हज़ार सेनापति हैं (ख़ुदा ने जिब्रील के साथ सात हज़ार फ़रिश्ते भेजे थे ताकि बड़ी आयत मुहम्मद साहब तक सुरक्षित पहुंच सके।) ,उसके सवा लाख पैगम्बर हैं (कहतें हैं कि हज़रत आदम से मुहम्मद साहब तक सवा लाख पैगम्बर हो चुके थे ), अठासी करोड़ शेख़ हैं और जिसके छप्पन करोड़ ख़ास मुसाहिब हैं। | | १ | | उस तक मुझ गरीब की पुकार कौन पहुंचाए ?उसका सिक्का दूर -दूर तक चलता है ,उसके महलों तक कौन पहुंचे ?| | १ | | रहाउ | | तैतीस कोटि देवता उसके घर के सेवक हैं। चौरासी लाख यौनियों के जीव उसी के कारण भटके फिरते हैं। बाबा आदम (आदिपुरुष )ने भी जब अवज्ञा की और खुदा ने उसे आँखें दिखाई , तो उसने भी खूब स्वर्ग पाया (अर्थात स्वर्ग बहिश्त )से निकाल दिया गया ) | | २ | | जिसके मन में द्वैत की खलबली रहती है ,उसका मुख पीला (विवर्ण )पड़ा रहता है। वह कुरआन आदि ग्रंथों को छोड़कर स्वेच्छाचारी व्यवहार करता है , वह दुनिया को दोष देता है और लोगों पर रोष करता है ,अत : सदा अपना किया पाता है | | ३ | | हे प्रभु तुम दाता हो ,हम तुम्हारे द्वार के भिखारी हैं। यदि मैं तुम्हारे दिए दान की उपेक्षा करूँ तो पाप होगा। कबीर जी कहते हैं , हे करुणानिधि ,मुझे अपने संरक्षण में ले लो , यही मेरे लिए बिहिश्त (बहिश्त )हैं | | ४ | | ७ | | १५ | |
मूल पाठ आदि गुरुग्रंथ साहब से :
सतरि सैइ सलार है जाके।सवा लाख़ पैकाबर ता के। सेख जु कहीअहि कोटि अठासी। छपन कोटि जा के खेल खासी | | १ | | मो गरीब की को गुजरावै। मजलसि दूरि महलु को पावै | | १ | | रहाउ | | तेतीस करोड़ी हैं खेलखाना। चउरासी लख फिरै दिवानां। बाबा आदम कउ किछु नदरि दिखाई। उनि भी भिसति घनेरी पाई | | २ | | दिल खलहलु जा कै जरदरू बानी। छोडि कतेब करै सैतानी। दुनीआ दोसु रोसु है लोई। अपना कीआ पावै सोई | | ३ | | तुम दाते हम सदा भिखारी। देउ जबाबु होइ बजगारी। दासु कबीरु तेरी पनह समानां। भिसतु नजीकि राखु रहमाना | | ४ | | ७ | | १५ | |
कतेब -कुरआन ,बाइबिल आदिक के लिए एक किताब को प्रामाणिक मान ने वाले पंथों विश्वासों के लिए प्रयुक्त होता है।
जिसके साथ सात हज़ार सेनापति हैं (ख़ुदा ने जिब्रील के साथ सात हज़ार फ़रिश्ते भेजे थे ताकि बड़ी आयत मुहम्मद साहब तक सुरक्षित पहुंच सके।) ,उसके सवा लाख पैगम्बर हैं (कहतें हैं कि हज़रत आदम से मुहम्मद साहब तक सवा लाख पैगम्बर हो चुके थे ), अठासी करोड़ शेख़ हैं और जिसके छप्पन करोड़ ख़ास मुसाहिब हैं। | | १ | | उस तक मुझ गरीब की पुकार कौन पहुंचाए ?उसका सिक्का दूर -दूर तक चलता है ,उसके महलों तक कौन पहुंचे ?| | १ | | रहाउ | | तैतीस कोटि देवता उसके घर के सेवक हैं। चौरासी लाख यौनियों के जीव उसी के कारण भटके फिरते हैं। बाबा आदम (आदिपुरुष )ने भी जब अवज्ञा की और खुदा ने उसे आँखें दिखाई , तो उसने भी खूब स्वर्ग पाया (अर्थात स्वर्ग बहिश्त )से निकाल दिया गया ) | | २ | | जिसके मन में द्वैत की खलबली रहती है ,उसका मुख पीला (विवर्ण )पड़ा रहता है। वह कुरआन आदि ग्रंथों को छोड़कर स्वेच्छाचारी व्यवहार करता है , वह दुनिया को दोष देता है और लोगों पर रोष करता है ,अत : सदा अपना किया पाता है | | ३ | | हे प्रभु तुम दाता हो ,हम तुम्हारे द्वार के भिखारी हैं। यदि मैं तुम्हारे दिए दान की उपेक्षा करूँ तो पाप होगा। कबीर जी कहते हैं , हे करुणानिधि ,मुझे अपने संरक्षण में ले लो , यही मेरे लिए बिहिश्त (बहिश्त )हैं | | ४ | | ७ | | १५ | |
मूल पाठ आदि गुरुग्रंथ साहब से :
सतरि सैइ सलार है जाके।सवा लाख़ पैकाबर ता के। सेख जु कहीअहि कोटि अठासी। छपन कोटि जा के खेल खासी | | १ | | मो गरीब की को गुजरावै। मजलसि दूरि महलु को पावै | | १ | | रहाउ | | तेतीस करोड़ी हैं खेलखाना। चउरासी लख फिरै दिवानां। बाबा आदम कउ किछु नदरि दिखाई। उनि भी भिसति घनेरी पाई | | २ | | दिल खलहलु जा कै जरदरू बानी। छोडि कतेब करै सैतानी। दुनीआ दोसु रोसु है लोई। अपना कीआ पावै सोई | | ३ | | तुम दाते हम सदा भिखारी। देउ जबाबु होइ बजगारी। दासु कबीरु तेरी पनह समानां। भिसतु नजीकि राखु रहमाना | | ४ | | ७ | | १५ | |
कतेब -कुरआन ,बाइबिल आदिक के लिए एक किताब को प्रामाणिक मान ने वाले पंथों विश्वासों के लिए प्रयुक्त होता है।
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