सरगुन की कर सेवा ,निरगुन का कर ध्यान ,सरगुन निरगुन ते परे तहाँ हमारा ध्यान -बधाई वेद प्रकाशजी श्योराण
सेवा सक्रिय डॉ. वेद प्रकाश श्योराण को अनिवासी भारतीय संस्था ,भारत ,द्वारा महात्मा गांधी सम्मान के लिए मनोनीत करना उस रास्ते को सम्पुष्ट करेगा जिस पर डॉ. साहब चल रहे हैं। एक छोटा सा भी पुरूस्कार जीवन की सही दिशा को बल और गति देता है इसे अलग से बतलाने की जरूरत नहीं है।
डॉ.साहब एक के बाद एक शिखर को छूते आएं हैं। हरयाणा शिक्षा सेवा में संलग्न रहते हुए आपने पीएच डी कार्य संपन्न किया फिर सेवा में रहते हुए सीधे भर्ती के द्वारा आप प्राचार्य नियुक्त हुए। गोल्ड मेडलिस्ट रहे वेद जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे हैं। आप आकाशवाणी से उद्घोषक होने की कसक रखते थे भले आपकी अनेक वार्ताएं आकशवाणी से प्रसारित हुईं।
लघुकथा लेखक के रूप में आपने के अलग मुकाम अपने लिए बनाया।
हर लघु कथा एक शब्द चित्र और संदेशा ,मानवीय संवेदना और व्यंग्य लिए आई। कहानियां भी आपने लिखीं। लेकिन सेवा के क्षेत्र में आप मुखर हुए ,कबीर की एक उक्ति याद आती है जो वेद जी पर खरी उतरती है :
सरगुन की कर सेवा ,निरगुन का कर ध्यान ,सरगुन निरगुन ते परे तहाँ हमारा ध्यान -बधाई वेद प्रकाशजी श्योराण
समस्त प्राणी जगत ही ईश्वर का सगुण साकार रूप है। इसलिए तू निर्गुण निराकार निर्विशेष ब्रह्म श्रेष्ठ है या सगुण साकार सविशेष इस में मत उलझ। आपने कबीर का बतलाया पहला रास्ता अपने तैं चुना है। सबको खासकर समाज में पीछे रह गए ,हाशिये पे अदबदाकर डाल दिए गए लोगों के प्रति आपको प्रेम है।उनकी ख़ुशी आपकी ख़ुशी है।
मुझे उनके निकट रहने का सौभाग्य प्राप्त रहा है मैं उनकी विकास यात्रा का साक्षी भी रहा हूँ सहभावी भी आज उतना ही गौरवान्वित महसूस करता हूँ जितना हरयाणा और उसकी मिट्टी की सौंधी गंध से अनुप्राणित रहा आया कोई भी अन्य उनका सहोदर होगा। सहकर्मी सहपाठी होगा। उनका विस्तारित परिवार होगा जिसमें उनके समस्त छात्रवृन्द भी आ जाते हैं। बधाई देता हूँ उन्हें और आप सभी को खुद को भी।
वीरुभाई ,अपलैंड व्यू कैन्टन (मिशिगन )यूएसए
(वीरेंद्र शर्मा ,पूर्व प्राचार्य राजकीय स्नाकोत्तर कालिज बादली (झज्जर ) हरियाणा ,)
डॉ.साहब एक के बाद एक शिखर को छूते आएं हैं। हरयाणा शिक्षा सेवा में संलग्न रहते हुए आपने पीएच डी कार्य संपन्न किया फिर सेवा में रहते हुए सीधे भर्ती के द्वारा आप प्राचार्य नियुक्त हुए। गोल्ड मेडलिस्ट रहे वेद जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे हैं। आप आकाशवाणी से उद्घोषक होने की कसक रखते थे भले आपकी अनेक वार्ताएं आकशवाणी से प्रसारित हुईं।
लघुकथा लेखक के रूप में आपने के अलग मुकाम अपने लिए बनाया।
हर लघु कथा एक शब्द चित्र और संदेशा ,मानवीय संवेदना और व्यंग्य लिए आई। कहानियां भी आपने लिखीं। लेकिन सेवा के क्षेत्र में आप मुखर हुए ,कबीर की एक उक्ति याद आती है जो वेद जी पर खरी उतरती है :
सरगुन की कर सेवा ,निरगुन का कर ध्यान ,सरगुन निरगुन ते परे तहाँ हमारा ध्यान -बधाई वेद प्रकाशजी श्योराण
समस्त प्राणी जगत ही ईश्वर का सगुण साकार रूप है। इसलिए तू निर्गुण निराकार निर्विशेष ब्रह्म श्रेष्ठ है या सगुण साकार सविशेष इस में मत उलझ। आपने कबीर का बतलाया पहला रास्ता अपने तैं चुना है। सबको खासकर समाज में पीछे रह गए ,हाशिये पे अदबदाकर डाल दिए गए लोगों के प्रति आपको प्रेम है।उनकी ख़ुशी आपकी ख़ुशी है।
मुझे उनके निकट रहने का सौभाग्य प्राप्त रहा है मैं उनकी विकास यात्रा का साक्षी भी रहा हूँ सहभावी भी आज उतना ही गौरवान्वित महसूस करता हूँ जितना हरयाणा और उसकी मिट्टी की सौंधी गंध से अनुप्राणित रहा आया कोई भी अन्य उनका सहोदर होगा। सहकर्मी सहपाठी होगा। उनका विस्तारित परिवार होगा जिसमें उनके समस्त छात्रवृन्द भी आ जाते हैं। बधाई देता हूँ उन्हें और आप सभी को खुद को भी।
वीरुभाई ,अपलैंड व्यू कैन्टन (मिशिगन )यूएसए
(वीरेंद्र शर्मा ,पूर्व प्राचार्य राजकीय स्नाकोत्तर कालिज बादली (झज्जर ) हरियाणा ,)
It gives us immense pleasure to know that a person of rural origin, dedicated to service of mankind,having a down-to-earth approach, human welfare in the inner recesses of his heart is nominated for a prestigious award. Hearty congratulations to worthy soul Dr Ved Parkash Sheoran ji on being nominated for an international award "Mahatma Gandhi Samman" to be presented to him in U.K.soon. May God bless and empower him to further the cause of human welfare with renewed zeal!
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