स्वर्ण द्वार के दरवज्जे के अंदर अमृतसर से :गुरु साहब के पावित्र्य से संसिक्त नगरी अमृतसर एक विहंगावलोकन सरसरी दृष्टि
स्वर्ण द्वार के दरवज्जे के अंदर अमृतसर से :गुरु साहब के पावित्र्य से संसिक्त नगरी अमृतसर एक विहंगावलोकन सरसरी दृष्टि केंटन मिशिगन से मेरे गुरुसमान प्रियवर श्री हरचरणजी ने पूछा है :हाउ आर दी वाइब्स इन दी गोल्डन टेंपल एन्ड दी सेक्रेड सिटी ?सवाल गुरमुखी है ज़वाब सब्जेक्टिव रहेगा। जिन खोजा तीन पाइयाँ गहरे पानी पैठ। जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तीन तैसी।जिसका जैसा भांडा .....वैसी गुरु की महर ... कहते हैं ये पावित्र्य में भीगा स्थान जिसे आज स्वर्णमंदिर के रूप में जाना जाता है "रामपुर -चक गाँव" के रूप में बादशाह अकबर ने गुरुअमरदास जी की बेटी के ब्याह के वक्त दहेज़ में दिया था। जिसे पहले गुरु अमरदास जी के दामाद गुरुरामदास ने बाद में गुरुअरजन देव जी ने विकसित करवाया अपने अहर्निस अनथक प्रयास से। पहले इसे "रामसर" और फिर बाद में अमृतसर के रूप में जाना गया। इसके गिर्द आज एक निरंतर बने रहने वाला आध्यात्मिक स्पंदन मौजूद है जिसके आगोश में जलियांवाला बाग़ भी है तो श्रीगुरद्वारा प्रबंधक समिति द्वारा संचालित "सारागढ़ी सराय दरबारा साहब सचखंड अमृ...