रागु गोंड बाणी भगता की || कबीर जी घरु १ (आदि श्री गुरुग्रन्थ साहब )
संतु मिलै किछु सुनीए कहीऐ | मिलै असंतु मसटि करि रहीए || १ ||
बाबा बोलना किआ कहीए | जैसे राम नाम रवि रहीए || १ ||रहाउ ||
संतन सिउ बोले उपकारी | मूरख सिउ बोले झख मारी || २ ||
बोलत बोलत बढहि बिकारा | बिनु बोले किआ करहि बीचारा || ३ ||
कहु कबीर छूछा घटु बोलै | भरिआ होइ सु कबहु न डोलै || ४ || १ ||
भाव सार :संत से भेंट हो जाए तो उससे चर्चा चलाने और बातचीत करने में आनंद मिलता है। असंत की मुलाकात दुखदायी होती है ,ऐसे में मौन बने रहना ही उपयुक्त है। || १ ||
आखिर संतों के पास जाकर क्या चर्चा करें ? वही जिसके द्वारा राम नाम में लीन होना संभव हो।|| १ || रहाउ ||
संतों के साथ की हुई बातचीत से उपकार होता है,किन्तु मूर्ख की चर्चा बेकार जाती है। || २ ||
बेकार बोलने से अवगुण बढ़ते हैं ,किन्तु बिना बोले भी क्या कर सकते हैं ? || ३ ||
कबीर जी कहते हैं कि खाली घड़ा ही बोलता है ,यदि वह भरा हुआ हो तो वह कभी डगमगाता नहीं।
'अध् गगरी जल छलकत जाइ ,
'थोथा चना बाजे घना 'लोकोक्तियाँ भी यही समझा रही हैं।
यहां ऐसे मनुष्य का संकेत दिया है जो ओछा होकर आत्म प्रचार करता है ,किन्तु सही अर्थों में उसकी परमात्मा तक
पहुँच नहीं होती। || ४ || १ ||
संतु मिलै किछु सुनीए कहीऐ | मिलै असंतु मसटि करि रहीए || १ ||
बाबा बोलना किआ कहीए | जैसे राम नाम रवि रहीए || १ ||रहाउ ||
संतन सिउ बोले उपकारी | मूरख सिउ बोले झख मारी || २ ||
बोलत बोलत बढहि बिकारा | बिनु बोले किआ करहि बीचारा || ३ ||
कहु कबीर छूछा घटु बोलै | भरिआ होइ सु कबहु न डोलै || ४ || १ ||
भाव सार :संत से भेंट हो जाए तो उससे चर्चा चलाने और बातचीत करने में आनंद मिलता है। असंत की मुलाकात दुखदायी होती है ,ऐसे में मौन बने रहना ही उपयुक्त है। || १ ||
आखिर संतों के पास जाकर क्या चर्चा करें ? वही जिसके द्वारा राम नाम में लीन होना संभव हो।|| १ || रहाउ ||
संतों के साथ की हुई बातचीत से उपकार होता है,किन्तु मूर्ख की चर्चा बेकार जाती है। || २ ||
बेकार बोलने से अवगुण बढ़ते हैं ,किन्तु बिना बोले भी क्या कर सकते हैं ? || ३ ||
कबीर जी कहते हैं कि खाली घड़ा ही बोलता है ,यदि वह भरा हुआ हो तो वह कभी डगमगाता नहीं।
'अध् गगरी जल छलकत जाइ ,
'थोथा चना बाजे घना 'लोकोक्तियाँ भी यही समझा रही हैं।
यहां ऐसे मनुष्य का संकेत दिया है जो ओछा होकर आत्म प्रचार करता है ,किन्तु सही अर्थों में उसकी परमात्मा तक
पहुँच नहीं होती। || ४ || १ ||
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