चंदीं हज़ार आलम एकल खानां | हम चिनी पातिसाह सांवले बरनां || ३ || असपति गजपति नरह नरिंद | नामे के स्वामी मीर मुकुंद || ४ || २ || ३ ||
हले यारां हले यारां खुसिखबरी | बलि बलि जांउ हउ बलि बलि जांउ | नीकी तेरी बिगारी आले तेरा नाउ || १ || रहाउ ||
कुजा आमद कुजा रफती कुजा मेरवी | द्वारिका नगरी रासि बुगोई || १ ||
खुबू तेरी पगरी मीठे तेरे बोल | द्वारिका नगरी काहे के मगोल || २ ||
चंदीं हज़ार आलम एकल खानां | हम चिनी पातिसाह सांवले बरनां || ३ || असपति गजपति नरह नरिंद | नामे के स्वामी मीर मुकुंद || ४ || २ || ३ ||
हे सज्जन प्यारे ! तुम्हारी खबर शीतलता देने वाली है। मैं तुम पर बलिहार हूँ कुर्बान हूँ। तुम्हारा नाम सबसे अधिक प्यारा है (इसलिए इसके प्रभाव से )तुम्हारी दी हुई बेगार भी मीठी लगती है। | | १ || रहाउ ||
न तू कहीं से आया , न तू कहीं गया और न तू कहीं जा रहा है ,फिर भी द्वारिका नगरी में रास भी तुम स्वयं रचाते हो अर्थात कृष्णा भी तुम ही हो || १ ||
तुम्हारी पगड़ी सुन्दर है और तुम्हारे वचन मीठे हैं | तुम न केवल द्वारिका में हो और न ही केवल मुसलमानों के धार्मिक स्थान मक्का में हो (अर्थात तुम सर्वत्र हो ,तुम्हारी व्याप्ति सार्वत्रिक है सार्वकालिक है। )|| २ ||
सृष्टि के कई हज़ार मंडलों के तुम अकेले मालिक हो। हे बादशाह ! ऐसा ही सांवले रंग वाला कृष्ण है अर्थात कृष्ण भी तुम आप ही हो। || ३ ||
हे नामदेव के प्रभु पति ! तुम आप ही मीर हो,तुम आप ही कृष्ण हो ,तुम ही सूर्य देवता हो ,तुम ही इंद्र हो और तुम आप ही ब्रह्मा हो। || ४ || २ || ३ ||
कुजा आमद कुजा रफती कुजा मेरवी | द्वारिका नगरी रासि बुगोई || १ ||
खुबू तेरी पगरी मीठे तेरे बोल | द्वारिका नगरी काहे के मगोल || २ ||
चंदीं हज़ार आलम एकल खानां | हम चिनी पातिसाह सांवले बरनां || ३ || असपति गजपति नरह नरिंद | नामे के स्वामी मीर मुकुंद || ४ || २ || ३ ||
हे सज्जन प्यारे ! तुम्हारी खबर शीतलता देने वाली है। मैं तुम पर बलिहार हूँ कुर्बान हूँ। तुम्हारा नाम सबसे अधिक प्यारा है (इसलिए इसके प्रभाव से )तुम्हारी दी हुई बेगार भी मीठी लगती है। | | १ || रहाउ ||
न तू कहीं से आया , न तू कहीं गया और न तू कहीं जा रहा है ,फिर भी द्वारिका नगरी में रास भी तुम स्वयं रचाते हो अर्थात कृष्णा भी तुम ही हो || १ ||
तुम्हारी पगड़ी सुन्दर है और तुम्हारे वचन मीठे हैं | तुम न केवल द्वारिका में हो और न ही केवल मुसलमानों के धार्मिक स्थान मक्का में हो (अर्थात तुम सर्वत्र हो ,तुम्हारी व्याप्ति सार्वत्रिक है सार्वकालिक है। )|| २ ||
सृष्टि के कई हज़ार मंडलों के तुम अकेले मालिक हो। हे बादशाह ! ऐसा ही सांवले रंग वाला कृष्ण है अर्थात कृष्ण भी तुम आप ही हो। || ३ ||
हे नामदेव के प्रभु पति ! तुम आप ही मीर हो,तुम आप ही कृष्ण हो ,तुम ही सूर्य देवता हो ,तुम ही इंद्र हो और तुम आप ही ब्रह्मा हो। || ४ || २ || ३ ||
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