जे जाणा लडु छिजणा पीडी पाईं गंढ़इ | तै जेवडु मै नाहि को सभु जगु डिठा हंढि || ५ ||
फरीदा जे तू अकलि लतिफु काले लिखु न लेख | आपनड़े गिरीवान महि सिरु नीवां करि देखु। || ६ ||
फरीदा जो तै मारनि मुकीआं तिन्हां न मारे घुंमि | आपनड़ै घरि जाईये पैर तिन्हा दे चुंमि || ७ ||
फरीदा जां तउ खटण वेळ तां तू रता दुनी सिउ | मरग सवाई नीहि जां भरिआ तां लदिआ || ८ ||
भावसार : यदि मुझे विदित होता दामन कमज़ोर है (फट जाएगा ),तो मैं मजबूत गाँठ लगाता (प्रभु से प्रेम का दामन पकड़कर उसे मजबूती से अपना लेता ),क्योंकि मैंने घूम -फिरकर सब संसार परख लिया है कि वास्तव में (हे प्रभु )तुमसे बड़ा अन्य कोई नहीं है। || ५ ||
ऐ फरीद यदि तुम अक़्ल लतीफ़ (सूक्ष्म बारीकबीनी वाली बुद्धि )रखते हो ,तो औरों के अवगुण न देखो। ये सारे अवगुण तुम्हारे अंदर ही आ जाएंगे। अवगुण ही देखने है तो अपनी करनी अपने अवगुण देखो अपने गिरेबाँ में झांको। दूसरों के निंदा आलेख मत लिखो सारी कलौच तुम्हारे अंदर ही आ जाएगी || ६ ||
फरीद जी खुद से मुखातिब ,अपने को ही सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि यदि कोई तुम्हें मुक्के भी मारे ,तो तुम ईंट का ज़वाब पत्थर से न दो। उसके पाँव चूम लो विनम्र बने रहो। तुम्हें बड़ा संतोष मिलेगा। लौटके मारने पर तुम भी बे -चैन हो जाओगे। || ७ ||
फरीद जो कहते हैं कि जब कमाई करने का वक्त था (अच्छे कर्मों की सद्कर्म करने का समय था )तब तुम संसार के वैभव भोगते रहे। मोह ,और माया के कुनबे में फंसे रहे ,अब तो मौत की नींव पक्की हो गई है ,(अर्थात श्वास पूरे हो गए हैं )तैयारी चलने की पूरी है ,बस अब तो चल ही देना है हरी झंडी हो चुकी है ,अर्थात मर ही जाना है इसके बाद क्या कर सकोगे ? || ८ ||
TUNE RAAT GAWAAYI SOYE KE, DIWAS GAWAAYA KHAAYE KE, HEERA JANAM AMOL THA, KAUDI BADLE JAYE..--MUKESH ...
फरीदा जे तू अकलि लतिफु काले लिखु न लेख | आपनड़े गिरीवान महि सिरु नीवां करि देखु। || ६ ||
फरीदा जो तै मारनि मुकीआं तिन्हां न मारे घुंमि | आपनड़ै घरि जाईये पैर तिन्हा दे चुंमि || ७ ||
फरीदा जां तउ खटण वेळ तां तू रता दुनी सिउ | मरग सवाई नीहि जां भरिआ तां लदिआ || ८ ||
भावसार : यदि मुझे विदित होता दामन कमज़ोर है (फट जाएगा ),तो मैं मजबूत गाँठ लगाता (प्रभु से प्रेम का दामन पकड़कर उसे मजबूती से अपना लेता ),क्योंकि मैंने घूम -फिरकर सब संसार परख लिया है कि वास्तव में (हे प्रभु )तुमसे बड़ा अन्य कोई नहीं है। || ५ ||
ऐ फरीद यदि तुम अक़्ल लतीफ़ (सूक्ष्म बारीकबीनी वाली बुद्धि )रखते हो ,तो औरों के अवगुण न देखो। ये सारे अवगुण तुम्हारे अंदर ही आ जाएंगे। अवगुण ही देखने है तो अपनी करनी अपने अवगुण देखो अपने गिरेबाँ में झांको। दूसरों के निंदा आलेख मत लिखो सारी कलौच तुम्हारे अंदर ही आ जाएगी || ६ ||
फरीद जी खुद से मुखातिब ,अपने को ही सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि यदि कोई तुम्हें मुक्के भी मारे ,तो तुम ईंट का ज़वाब पत्थर से न दो। उसके पाँव चूम लो विनम्र बने रहो। तुम्हें बड़ा संतोष मिलेगा। लौटके मारने पर तुम भी बे -चैन हो जाओगे। || ७ ||
फरीद जो कहते हैं कि जब कमाई करने का वक्त था (अच्छे कर्मों की सद्कर्म करने का समय था )तब तुम संसार के वैभव भोगते रहे। मोह ,और माया के कुनबे में फंसे रहे ,अब तो मौत की नींव पक्की हो गई है ,(अर्थात श्वास पूरे हो गए हैं )तैयारी चलने की पूरी है ,बस अब तो चल ही देना है हरी झंडी हो चुकी है ,अर्थात मर ही जाना है इसके बाद क्या कर सकोगे ? || ८ ||
TUNE RAAT GAWAAYI SOYE KE, DIWAS GAWAAYA KHAAYE KE, HEERA JANAM AMOL THA, KAUDI BADLE JAYE..--MUKESH ...
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