राम भजु राम भजु जनमु सिरात है। कहउ कहा बार बार समझत नह किउ गवार। बिनसत नहलगै बार ओरे सम गात है || १ || रहाउ ||
रागु जैजावंती महला ९ (आदिश्रीगुरुग्रंथसाहब )
राम भजु राम भजु जनमु सिरात है। कहउ कहा बार बार समझत नह किउ गवार। बिनसत नहलगै बार ओरे सम गात है || १ || रहाउ ||
सगल भरल डारि देह गोबिंद को नामु लेह। अंति बार संगि तेरे इहै एक जातु है। || १ ||
बिखिआ बिख जिउ बिसारि प्रभ को जसु हीए धार। नानक जन कहि पुकार अउसरु बिहातु है || २ || २ ||
भावसार :
ऐ मनुष्य ,तुम्हारा जन्म बीत रहा है ,प्रभु -भजन कर लो। बार -बार क्या कहूँ ,गंवार समझता क्यों नहीं ?(इस नश्वर शरीर को ) नाश होते विलम्ब नहीं लगता। यह शरीर तो ओले के समान है ,जो थोड़ी देर में पिघल जाता है || १ || रहाउ ||
समस्त भ्रमों का त्याग कर परमात्मा का नाम जपो ,अंतिम समय यही एक उपलब्धि तुम्हारे साथ जाती है || १ ||
विषय -विकारों से भरपूर माया को विष के समानत्यागकर प्रभु की कीर्ति को हृदय में धारण करो। दास नानक पुकार कर कहते हैं कि अवसर जा रहा है (चूकने मत दो )|| २ ||
राम भजु राम भजु जनमु सिरात है। कहउ कहा बार बार समझत नह किउ गवार। बिनसत नहलगै बार ओरे सम गात है || १ || रहाउ ||
सगल भरल डारि देह गोबिंद को नामु लेह। अंति बार संगि तेरे इहै एक जातु है। || १ ||
बिखिआ बिख जिउ बिसारि प्रभ को जसु हीए धार। नानक जन कहि पुकार अउसरु बिहातु है || २ || २ ||
भावसार :
ऐ मनुष्य ,तुम्हारा जन्म बीत रहा है ,प्रभु -भजन कर लो। बार -बार क्या कहूँ ,गंवार समझता क्यों नहीं ?(इस नश्वर शरीर को ) नाश होते विलम्ब नहीं लगता। यह शरीर तो ओले के समान है ,जो थोड़ी देर में पिघल जाता है || १ || रहाउ ||
समस्त भ्रमों का त्याग कर परमात्मा का नाम जपो ,अंतिम समय यही एक उपलब्धि तुम्हारे साथ जाती है || १ ||
विषय -विकारों से भरपूर माया को विष के समानत्यागकर प्रभु की कीर्ति को हृदय में धारण करो। दास नानक पुकार कर कहते हैं कि अवसर जा रहा है (चूकने मत दो )|| २ ||
Comments
Post a Comment