सारंग महला ९ (आदिश्रीगुरुग्रंथसाहब से )
कहा मन बिखिआ सिउ लपटाही | या जग में कोऊ रहनु न पावै इक आवहि इक जाही || १ ||
कां को तनु धनु संपति कां की, का सिउ नेहु लगाही | जो दीसै सो सगल बिनासै जिउ बादर की छाही || १ ||
तजि अभिमानु सरणि संतन गहु मुकति होहि छीन माही | जन नानक भगवंत भजन बिनु सुखु सुपने भी नाही || २ || २ ||
भावसार
हे मन ,विषय विकारों से क्यों लिपटे हो ! इस संसार में स्थाई तौर पर किसी को नहीं रहना है , कोई आता है ,कोई जाता है (यही संसार का चलन है )|| १ || रहाउ ||
तरुवर बोला पात से सुनो पात एक बात ,
या घर याहि रीत है ,एक आवत एक जात।
पत्ता टूटा डार से ले गई पवन उड़ाय ,
अब के बिछुड़े कब मिलें दूर पड़ेंगे जाय।
पानी केरा बुदबुदा अस मानस की जात ,
देखत ही बुझ जाएगा ,ज्यों तारा परभात।
माली आवत देख के कलियाँ करें पुकार ,
फूली फूली चुन लै कालि हमारी बार.
यह तन ,धन ,संपत्ति किसकी हुई है ? कौन किससे प्रेम लगाता है ?जो कुछ भी दृश्यमान है , वह सब बादल की छाया के समान नश्वर है।|| १ ||
अत : ऐ जीव , अभिमान त्यागकर ,संतों की शरण ग्रहण करो ,इससे शीघ्र ही मुक्ति हो जायेगी। नानक दास कहते हैं कि प्रभु के भजन बिना सपने में भी सुख नहीं मिलता || २ || २ ||
कहा मन बिखिआ सिउ लपटाही | या जग में कोऊ रहनु न पावै इक आवहि इक जाही || १ ||
कां को तनु धनु संपति कां की, का सिउ नेहु लगाही | जो दीसै सो सगल बिनासै जिउ बादर की छाही || १ ||
तजि अभिमानु सरणि संतन गहु मुकति होहि छीन माही | जन नानक भगवंत भजन बिनु सुखु सुपने भी नाही || २ || २ ||
भावसार
हे मन ,विषय विकारों से क्यों लिपटे हो ! इस संसार में स्थाई तौर पर किसी को नहीं रहना है , कोई आता है ,कोई जाता है (यही संसार का चलन है )|| १ || रहाउ ||
तरुवर बोला पात से सुनो पात एक बात ,
या घर याहि रीत है ,एक आवत एक जात।
पत्ता टूटा डार से ले गई पवन उड़ाय ,
अब के बिछुड़े कब मिलें दूर पड़ेंगे जाय।
पानी केरा बुदबुदा अस मानस की जात ,
देखत ही बुझ जाएगा ,ज्यों तारा परभात।
माली आवत देख के कलियाँ करें पुकार ,
फूली फूली चुन लै कालि हमारी बार.
यह तन ,धन ,संपत्ति किसकी हुई है ? कौन किससे प्रेम लगाता है ?जो कुछ भी दृश्यमान है , वह सब बादल की छाया के समान नश्वर है।|| १ ||
अत : ऐ जीव , अभिमान त्यागकर ,संतों की शरण ग्रहण करो ,इससे शीघ्र ही मुक्ति हो जायेगी। नानक दास कहते हैं कि प्रभु के भजन बिना सपने में भी सुख नहीं मिलता || २ || २ ||
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