बीत जैहै बीत जैहै जनमु अकाज रे | निस दिन सुन कै पुरान। समझत नह रे अजान। काल तउ पहूचिओ आनि कहा जैहै भाजि रे || १ || रहाउ ||
रागु जैजावंती महला ९ (आदिश्रीगुरुग्रंथसाहब )
बीत जैहै बीत जैहै जनमु अकाज रे | निस दिन सुन कै पुरान। समझत नह रे अजान। काल तउ पहूचिओ आनि कहा जैहै भाजि रे || १ || रहाउ ||
असथिरु जो मानिओ देह सो तउ तेरउ होइ है खेह | किउ न हरि को नामु लेह मूरख निलाज रे || १ || राम भगति हीए आनि छाडि दे तै मन को मानु | नानक जन इह बखान जग मै बिराजु रे || २ || ४ ||
भावसार
ऐ मनुष्य ,तुम्हारा मानव -जन्म व्यर्थ (निरर्थक )बीत जायगा |रात -दिन धर्म -ग्रंथों की कथाएं सुनकर भी ऐ मूर्ख ,तुम नहीं समझ सके | मौत तो अब आ पहुंची है ,उससे बचाकर कहाँ भाग जाओगे || १ || रहाउ ||
जिस काया को तुम स्थायी मानते हो ,वह तुम्हारा शरीर तो मिट्टी हो जायगा || ऐसे में ऐ मूर्ख ,निर्लज्ज ,क्यों प्रभु का नाम नहीं लेते ? || १ ||
अत : ऐ भले जीव ,हृदय में राम -भक्ति दृढ करके तुम मन के मान (गर्व ) को त्याग दो। दास नानक कहते हैं कि इस प्रकार से (गर्व छोड़ -भक्ति बना ,भक्त बन ,भक्ति कर )जगत में जीवन जिओ || २ || ४ ||
बीत जैहै बीत जैहै जनमु अकाज रे | निस दिन सुन कै पुरान। समझत नह रे अजान। काल तउ पहूचिओ आनि कहा जैहै भाजि रे || १ || रहाउ ||
असथिरु जो मानिओ देह सो तउ तेरउ होइ है खेह | किउ न हरि को नामु लेह मूरख निलाज रे || १ || राम भगति हीए आनि छाडि दे तै मन को मानु | नानक जन इह बखान जग मै बिराजु रे || २ || ४ ||
भावसार
ऐ मनुष्य ,तुम्हारा मानव -जन्म व्यर्थ (निरर्थक )बीत जायगा |रात -दिन धर्म -ग्रंथों की कथाएं सुनकर भी ऐ मूर्ख ,तुम नहीं समझ सके | मौत तो अब आ पहुंची है ,उससे बचाकर कहाँ भाग जाओगे || १ || रहाउ ||
जिस काया को तुम स्थायी मानते हो ,वह तुम्हारा शरीर तो मिट्टी हो जायगा || ऐसे में ऐ मूर्ख ,निर्लज्ज ,क्यों प्रभु का नाम नहीं लेते ? || १ ||
अत : ऐ भले जीव ,हृदय में राम -भक्ति दृढ करके तुम मन के मान (गर्व ) को त्याग दो। दास नानक कहते हैं कि इस प्रकार से (गर्व छोड़ -भक्ति बना ,भक्त बन ,भक्ति कर )जगत में जीवन जिओ || २ || ४ ||
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