'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥'
यानी जो देवी सब प्राणियों में शक्ति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है.
शक्ति रूपा वह कहीं ब्रह्माणी है कहीं शिवानी शिवांगना शुभंकरी ,शुक्लपक्ष के अभिजीत नक्षत्र की शोभा में वृद्धि करने वाली भी वही है वही पूर्ण -नारीश्वरी है। अर्द्धनारीश्वर की तरह अद्वैत है उसी को समर्पित हैं ये चंद पंक्तियाँ :
त्वमेव शिवांगी शिवम् त्वमेव ,
त्वमेव शिवानी शुभांगी त्वमेव ,
त्वमेव ब्रह्माणी भवं भवानी त्वमेव ,
त्वमेव दुर्गा च चंडी त्वमेव ,
त्वमेव सरस्वती लक्ष्मी त्वमेव।
त्वमेव मम् सर्वं त्वमेव।
वीरुभाई
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